एक और प्राकृत पत्रिका प्रारम्भ

एक और प्राकृत पत्रिका प्रारम्भ


एक और प्राकृत पत्रिका का प्रकाशन दिसम्बर २०१9 से प्रारम्भ हो गया है। “पाइय वाणी" नाम से इस पत्रिका के प्रथम अंक का विमोचन आचार्य श्री वर्धमानसागर जी महाराज ससंघ के सान्निध्य में दिनांक २६ दिसम्बर को यरनाल-बेलगांम (कर्नाटक) में हुआ। पत्रिका के सम्पादक, प्रकाशक डॉ. आशीष जैन शाहगढ़ हैं। पत्रिका 9x 12 इंची के आकार की बहुरंगी छटा लिए हुए है। आठ पृष्ठीय इस पत्रिका की प्रकाशन अवधि छमाही है। एक और प्राकृत पत्रिका “पागद-भासा" के नाम से प्रकाश में आई थी, वह षाDमासिक ही थी। उसका प्रचार-प्रसार बहुत जोर-शोर से किया गया था, किन्तु जब पत्रिका के २-३ अंक देखे तो निराशा ही हुई, क्योंकि पत्रिका के नाम पर केवल एक फोल्डर ही दिखा, लगा पत्रिका की आत्मा के साथ जुल्म किया जा रहा है। आशा है नई उमंग के साथ प्रस्तुत हुई ‘पाइय वाणी' पत्रकारिता के मानकों पर खरी उतरेगी, ‘पाइय-भासा' को भी शनैः शनैः सही स्वरूप में लाने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही हम यह भी कह देना चाहते हैं कि आलोचना करना आसान है, सृजन बहुत कठिन है। कुछ नहीं की अपेक्षा तो ये प्रयास भी प्रसंसनीय हैं। दोनों पत्रिकाओं को हमें प्रोत्साहित करना चाहिए।