जिसका काम उसी को साधे - पूज्यसागर

(पेरक प्रसंग) 


 जिसका काम उसी को साधे - पूज्यसागर



जाट और बनिये में अच्छी दोस्ती थी । जाट खेती करता था । बनिया अपने व्यापार में मस्त रहता था। एक साल बारिश नहीं हुई। वर्षा नहीं होने से जाट बड़ा चिंतित रहने लगा। खेती किए बिना परिवार का पालन-पोषण कैसे होगा? एक दिन वह अपने व्यापारी मित्र के पास गया और बोला- मित्र ! तेरी तो कमाई प्रतिदिन होती है, मैं आज कल बिल्कुल खाली बैठा हूं। कोई रोजगार नहीं है। कमाई का कोई साधन हो तो अवश्य बताना। सेठ बोला-मेरा खास व्यापार है बबूल के गोंद का। यहां गोंद काफी मिलता है इसलिए सस्ता है। दूसरी जगह का भाव तेज है। तूले जा, बेच देना, कमाई अच्छी होगी।


जाट ने सौ रुपयों का गोंद लेकर रख लिया। उसने सोचा, कोई थोक का ग्राहक आयेगा तो बेच देंगे। इधर वह बनिया ज्यों ही गोंद लेता। त्यों ही बेच देता। रखता नहीं था। कुछ ही दिनों पश्चात् जोर से वर्षा हुई, जिससे गोंद खराब हो गया। इधर भाव भी उतर गए। गोंद का बाजार बिलकुल मन्दा हो गया। जाट दौड़ा-दौड़ा बनिये के पास आया और बोला-भाई! बहुत नुकसान हो गया। अब इस गोंद का क्या करूँ। आखिर बनिये ने सारा माल ले लिया और बदले में सौ के तीस रुपये दिए।


जाट के पास कोई चारा नहीं था। जो मिला ले लिया


यह कहानी बताती है कि हर व्यक्ति हर काम नहीं कर सकता। जो व्यक्ति जिस काम में दक्ष होता है उसे वही काम करना चाहिए। यानी जिसका काम उसी को साधे।


यह प्रसंग लोहारिया में विराजमान परम पूज्य पूज्यसागर जी मुनि महाराज ने अपने दैनिक प्रवचनों में सुनाया।



संकलन-डाॅ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’, इन्दौर 9826091247