सिरि भूवलय में प्राकृत गाथासूत्र PART-2

सिरि भूवलय में प्राकृत गाथासूत्र   PART-2


೫. ಇಯ ಣಾಯಂ ಅವಹಾರಿಯ ಪರಂಪರಾಗದಂ ಮಣಸಾ|


     ಪುಲ್ವಾಇರಿಯಾ ಆರಾಣುಸರಣಂ ತಿರಯಣಣಿಮಿತ್ತಂll೫||


 



  1. इयणायं अवहारिय परंपरागदंमणसा।


पुव्वाइरिया आराणुसरणं तिरयणणिमित्तं॥5॥


इस प्रकार आचार्य परंपरा से ज्ञात हुए न्याय को मन से अवधारण करके पूर्व आचार्यों के आचार का अनुसरण करना रत्नत्रय का कारण है।


೬.  ಈಸ ಮುಹಗ್ಗ ಹವಯಣಂ ಭೂವಲಯ ದೋಸ ವಿರಹಿಯಂ ಸುದ್ದ೦। 


      ಆಗಮಮಿದಿ ಪರಿ ಕಹಿಯೆ ತೆಣದು ಕಹಿಯಾ ಹವಂತಿ ತಚ್ಚತಾ||೬||



  1. ईस मुहग्गहवयणं भूवलय दोस विरहियं सुद्ध।


    आगममिदि परि कहिये तेणदु कहिया हवंति तच्चत्था॥6॥


भगवान के द्वारा कहे हुए वचनों से युक्त भूवलय दोष रहित शुद्ध है, आगम में यह कहा है, उनके द्वारा कहा हुआ तत्त्वार्थ होता है


೭. ಉವವಾದ-ಮಾರಣಂತಿಯ ಪರಿಣದತಸಲೋಯ-ಪೂರಣೆಣ ಗದೊ।


    ಕೆವಲಿಗೊ ಅಬಲಂಬಿಯ ಸವ್ವಜಗೊ ಹೊದಿ ತಸಣಾಲೀ||೭||



  1. उववाद-मारणंतिय-परिणदतसलोय-पूरणेण गदो।


    केवलिणो अबलंबिय सव्वजगोहोदित्तसणाली॥7॥


उपपाद और मारणांतिक समुद्घात में परिणत त्रस तथा लोकपूरण-समुद्घात को प्राप्त केवली का आश्रय करके सारा लोकही त्रसनाली है


೮.  ಊಣಪಮಾಣಂ ದಂಡಾ ಕೋಡಿಯಂ ಎಕಬೀಸಲಕ್ಕಾಣಂ|


      ಬಾಸಟ್ಟಿಂ ಚ ಸಹಸ್ಸಾ ದುಸಯಾ ಇಗಿದಾಲದುತಿ ಭಾಯಾ||೮||



  1. ऊणपमाणं दंडा कोडितियं एकबीसलक्खाणं।


    बासहिच सहस्सा दुसया इगिदालतिभाया॥8॥


(सनाली को जो तेरह राजु से कुछ कम ऊंचा बतलाया गया है), उस नाली का प्रमाण यहां तीन करोड़, इक्कीस लाख, बासठ हजार, दो सौ इकतालीस धनुष और एक धनुष के तीन भागों में से दो भाग अर्थात् 2/3 (दो बटा तीन) है। (त्रसनाली की ऊंचाई 32162241",धनुष कम 13 राजु है।)


೯.  ಎ ವಂವರಭೂವಲಯಂ ತಿರಯಣಸುದ್ದಣ ಣಮಂಸಿಊಣಾಹಂ||


ಭವ್ವಮಣುಜಣಾಣಪದೀವಂ ವೊಚ್ಛಾಮಿ ತಿಲೋಯಭೂವಲಯoll೯||


 



  1. ए वंवरभूवलयं तियरणसुद्धेण णमंसिऊणाहं।


भव्वमणुजणाणपदीवंवोच्छामि तिलोयभूवलयं॥9॥


इस प्रकार त्रिरत्न-शुद्धि पूर्वक में मनुष्य श्रेष्ठ भूवलय को नमस्कार करके भव्य मनुष्यों के प्रदीप स्वरूप त्रिलोक भूवलय को कहता हूँ।


 -डाॅ. महेन्द्र कुमार जैन ‘मनुज’, इन्दौर, 826091247